है। आत्मकथा की भाषा सरल, स्पष्ट और संप्रेषणीय होनी चाहिए ताकि पाठक आसानी से उसे समझ सके। इसके साथ ही, लेखक को अपनी व्यक्तिगत शैली में लिखना चाहिए, जिससे आत्मकथा को एक विशेष और अनूठा रंग मिल सके। लेखक को ध्यान रखना चाहिए कि आत्मकथा में भावनाओं का प्रदर्शन स्वाभाविक और सजीव हो, जिससे पाठक उन भावनाओं को महसूस कर सके।